আমেরিকা ভারতের উপর মোট ৫০% এর भारी শুল্ক আরোপ করেছে, যার ফলে প্রায় ১০ লক্ষ কর্মসংস্থান হারানোর আশঙ্কা দেখা দিয়েছে। টেক্সটাইল, চামড়া, গয়না, অটো যন্ত্রাংশ, কেমিক্যাল, फार्मा এবং ইলেকট্রনিক্স ক্ষেত্রগুলি এই সিদ্ধান্তের দ্বারা সরাসরি প্রভাবিত হবে। CTI অনুসারে, এর প্রভাব ভারতের ৪৮ বিলিয়ন ডলারের রপ্তানির উপর পড়বে।
US tariff: আমেরিকা ২৭শে আগস্ট থেকে ভারত থেকে আসা পণ্যগুলোর উপর মোট ৫০% শুল্ক আরোপ করেছে, যার ফলে দেশে প্রায় ১০ লক্ষ মানুষের চাকরি হারানোর সম্ভাবনা তৈরি হয়েছে। এই সিদ্ধান্তের প্রভাব টেক্সটাইল, চামড়া, গয়না, অটো যন্ত্রাংশ, ফার্মা এবং ইলেকট্রনিক্স সেক্টরের উপর পড়বে। CTI সতর্ক করেছে যে এর ফলে ভারতের ৪৮ বিলিয়ন ডলারের রপ্তানি ক্ষতিগ্রস্ত হতে পারে এবং ব্যবসায়ীদের জন্য পুরনো অর্ডার নিয়ে অনিশ্চয়তা দেখা দিতে পারে।
আমেরিকা কেন শুল্ক আরোপ করল
আমেরিকা প্রথমে ৭ই আগস্ট ২০২৫ থেকে ভারতের উপর ২৫% শুল্ক আরোপ করেছিল। এখন ২৭শে আগস্ট ২০২৫ থেকে তা আরও বাড়িয়ে মোট ৫০% করা হয়েছে। এই নতুন শুল্কের পর ভারতীয় পণ্য মার্কিন বাজারে প্রায় ৩৫% महंगा হয়ে যাবে। এর মানে হল, মার্কিন ক্রেতারা এখন ভারত की পরিবর্তে চীন, ভিয়েতনাম और বাংলাদেশের মতো দেশ থেকে পণ্য কিনতে পছন্দ করবে।
কোন ক্ষেত্রগুলো সবচেয়ে বেশি ক্ষতিগ্রস্ত হবে
CTI (চেম্বার অফ ট্রেড অ্যান্ড ইন্ডাস্ট্রি)-এর চেয়ারম্যান बृजेश गोयल জানিয়েছেন যে টেক্সটাইল, চামড়া, জেমস ও জুয়েলারি, অটো যন্ত্রাংশ, কেমিক্যাল, ফার্মা, সিফুড এবং ইলেকট্রনিক্স সেক্টর সবচেয়ে বড় ধাক্কা খাবে। এই সেক্টরগুলোতে কর্মরত প্রায় ১০ লক্ষ মানুষ এই শুল্কের কারণে বেকার হওয়ার সম্ভাবনা রয়েছে।
৪৮ বিলিয়ন ডলারের এক্সপোর্টের উপর संकट
CTI অনুসারে আমেরিকার এই সিদ্ধান্তের ফলে ভারতের প্রায় ৪৮ বিলিয়ন ডলারের রপ্তানি प्रभावित হতে পারে। ভারত আমেরিকা को फार्मास्युटिकल्स, টেক্সটাইল, রত্ন ও গয়না, অটো যন্ত্রাংশ, কেমিক্যাল এবং সিফুড बड़े पैमाने पर পাঠায়। এখন এই প্রোডাক্টগুলোর উপর ৫০% শুল্ক কার্যকর होने से তাদের চাহিদা अमेरिकी বাজারে घट सकती है।
পুরনো অর্ডার पर উঠ रहे सवाल
ব্যবসায়ীদের মধ্যে এই बड़ा सवाल है कि जिन कंपनियों ने पहले ऑर्डर ले लिए हैं या जिनका माल अमेरिका में भेजा जा चुका है, उन पर नया टैरिफ लागू होगा या नहीं। अमेरिकी एजेंसियों की तरफ से इस मामले में अभी कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई है। इससे छोटे और मध्यम व्यापारियों की चिंता बढ़ गई है।
ইলেকট্রনিক্স ও ফার্মা महंगे
গত বছর ভারত আমেরিকা কে ১.২৫ লক্ষ কোটি টাকার ইলেকট্রনিক্স এবং ৯২ হাজার কোটি টাকার ওষুধ পাঠিয়েছিল। इन पर पहले 0.41% और 0% टैरिफ था। अब 50% टैरिफ लगने के बाद ये प्रोडक्ट्स अमेरिका में बहुत महंगे हो जाएंगे।
ইঞ্জিনিয়ারিং ও টেক্সটাইল সেক্টর को झटका
২০২৪ সালে भारत ने अमेरिका को करीब 1.7 लाख करोड़ रुपये के इंजीनियरिंग गुड्स যেমন স্টিল প্রোডাক্টস, মেশিনারি এবং অটোমোবাইল পার্টস भेजे थे। इन पर पहले 10% टैरिफ था, जो अब बढ़कर 50% हो गया है। इससे अमेरिकी बाजार में भारतीय सामान महंगा होकर मांग में 20-25% तक गिरावट आ सकती है।
CTI: আমেরিকার উপর निर्भरতা কম करें
CTI के चेयरमैन बृजेश गोयल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि भारत को अमेरिका के इस रवैये का जवाब देना होगा। इसके लिए भारत को अमेरिका पर निर्भरता कम करनी होगी और जर्मनी, ब्रिटेन, सिंगापुर और मलेशिया जैसे नए बाजार तलाशने होंगे।
गोयल ने सुझाव दिया कि भारत अमेरिका से आने वाले महंगे रत्न, न्यूक्लियर रिएक्टर के पुर्जे, हवाई जहाज के उपकरण, इलेक्ट्रिकल गुड्स, प्लास्टिक, नट्स और स्टील जैसे सामानों पर जवाबी टैरिफ लागू कर सकता है।