বলরামপুরে ব্যাপক হারে ধর্মান্তরকরণের ঘটনা রাজ্য এবং জাতীয় নিরাপত্তা সংস্থাগুলোর উদ্বেগ আরও বাড়িয়ে দিয়েছে। জালালউদ্দিন শাহ ওরফে ছাঙ্গুরের বিরুদ্ধে অভিযোগ, সে গাজীয়াfeাদ সহ উত্তর প্রদেশ এবং দিল্লি-এনসিআর অঞ্চলে একটি সংগঠিত ধর্মান্তরকরণ চক্র চালায়।
গাজিয়াবাদ: উত্তর প্রদেশ এবং দিল্লি-এনসিআরে একটি বড় ধর্মীয় ধর্মান্তরকরণ চক্রে নতুন নাম উঠে এসেছে — জালালউদ্দিন শাহ ওরফে ছাঙ্গুর। গোয়েন্দা সূত্রের খবর, ছাঙ্গুর কেবল বলরামপুরের ধর্মান্তরকরণ কার্যকলাপের সক্রিয় মুখ নয়, বরং তার সরাসরি যোগসূত্র গাজীয়াfeাবাদের আলোচিত ২০২১ সালের ধর্মান্তরকরণ মামলার সঙ্গেও দেখা যাচ্ছে।
ওমর গৌতমের গ্রেপ্তারের পর সিন্ডিকেটের কমান্ড সামলানো
২০২১ সালে যখন উত্তর প্রদেশ এটিএস ওমর গৌতম এবং জাহাঙ্গীর আলমকে গ্রেপ্তার করেছিল, তখন মনে করা হয়েছিল যে ধর্মান্তরকরণের সিন্ডিকেটের কোমর ভেঙে গেছে। কিন্তু এখন ছাঙ্গুরের নাম সামনে আসার পর এটা স্পষ্ট হয়ে যাচ্ছে যে সিন্ডিকেটের কমান্ড চুপিসারে ছাঙ্গুর সামলে নিয়েছে এবং সে উত্তর প্রদেশ, দিল্লি, এনসিআর, মহারাষ্ট্র এবং অন্যান্য রাজ্যে তার নেটওয়ার্ক পুনরায় সক্রিয় করেছে।
সূত্রের খবর অনুযায়ী, ছাঙ্গুরের সম্পর্ক মুম্বাইয়ে সক্রিয় মুঞ্জির নামক এক ব্যক্তির সঙ্গে রয়েছে। এই ব্যক্তিই তাকে ধর্মীয় ধর্মান্তরকরণের প্রশিক্ষণ দিত। মুঞ্জিরের নাম ২০২১ সালে গাজীয়াfeাবাদ সহ উত্তর ভারতে বড় আকারে হওয়া ধর্মান্তরকরণের সময় সামনে এসেছিল। গোয়েন্দা সংস্থাগুলোর মতে, মুঞ্জির নাগপুরে অবস্থিত একটি কট্টরপন্থী সংগঠনের সঙ্গে যুক্ত, এবং বিদেশি ফান্ডের সাহায্যে পুরো ভারতে ধর্মান্তরকরণের নেটওয়ার্ক চালায়।
মুম্বাইয়ে প্রশিক্ষণ নেওয়ার পর ছাঙ্গুর वापस बलरामपुर ফিরে আসে এবং সেখানে আংটি ও গয়না বিক্রি করা এক সামান্য দোকানদার হঠাৎ করে আর্থিকভাবে সম্পন্ন ব্যক্তি হয়ে ওঠে। এই পরিবর্তন গোয়েন্দা সংস্থাগুলোর জন্য একটি বড় ইঙ্গিত ছিল।
बड़े स्तर पर फैला नेटवर्क
সূত্র এটাও জানায় যে, ওমর গৌতমের গ্রেপ্তারের পর, ছাঙ্গুর ধর্মান্তরকরণ নেটওয়ার্কের পরিচালনা নিজের হাতে নিয়ে নেয়। उसने विभिन्न राज्यों में अपने नेटवर्क को मजबूत किया और लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित करना शुरू किया। कहा जा रहा है कि छांगुर का संबंध कई चरमपंथी संगठनों से है, जो इस कार्य के लिए विदेशी फंडिंग भी प्रदान करते हैं।
ধর্মান্তরকরণ করানোর জন্য দলের সদস্যদের আকর্ষণীয় অর্থ এবং সুবিধা দেওয়া হয়। यही वजह है कि वे अपनी आर्थिक स्थिति का प्रदर्शन कर दूसरों को इस नेटवर्क में शामिल करते हैं।
গাজিয়াবাদে পাঠানো হয়েছিল বিপুল বিজয়বর্গীকে
এই পুরো নেটওয়ার্কটি उस समय सुर्खियों में आया जब 2 जून 2022 को विपुल विजयवर्गीय और कासिफ नामक दो युवकों को गाजियाबाद के डासना देवी मंदिर में संदिग्ध हालत में पकड़ा गया। तलाशी में उनके पास से सर्जिकल ब्लेड और मेडिकल उपकरण मिले। पुलिस ने शुरुआत में उन्हें मामूली धाराओं में गिरफ्तार किया, लेकिन जब मीडिया और खुफिया एजेंसियों ने जांच शुरू की तो चौंकाने वाले खुलासे हुए।
জানা যায় যে বিপুল বিজয়বর্গী, মধ্যপ্রদেশের বাসিন্দা ছিল এবং उसने धर्म परिवर्तन कर अपना नाम ‘রমজান’ रख लिया था। उसने कासिफ की बहन से निकाह भी कर लिया था। यह मतांतरण मुंजीर के नेटवर्क के तहत हुआ था और इसके बाद उसे गाजियाबाद भेजा गया जहां वह यूनानी मेडिकल ट्रेनिंग सेंटर में रहकर लोगों को धर्म परिवर्तन के लिए उकसाता था।
এটিএস এবং গোয়েন্দা সংস্থাগুলোর পদক্ষেপ
इन घटनाओं के बाद उत्तर प्रदेश एटीएस और खुफिया एजेंसियों ने छांगुर, सलीमुद्दीन, कासिफ, विपुल सहित कई लोगों से पूछताछ की। इस पूछताछ के दौरान उमर गौतम और जहांगीर आलम जैसे नाम फिर से उजागर हुए और जांच में हजारों लोगों के जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन की जानकारी सामने आई। खुफिया सूत्रों के अनुसार, छांगुर और मुंजीर जैसे लोग देश के अलग-अलग हिस्सों में मासूम लोगों को बहला-फुसलाकर, या झूठे वादे कर धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर करते हैं। इनमें अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर, अशिक्षित या बीमार व्यक्ति शामिल होते हैं।